जननी !
जन - गण -मन - जननी !!
तज कर देह- जाती -गत बंधन ,
साध सर्व मंगल हित साधन .
साम्य भुवन -जननी !!
मानवता का अमृत सिंचन ;
वर्ग-भेद-तम-हर शुभ चिंतन.
मुक्त पवन जननी !!
मूक बधिक: अकरुण सिंहासन.
दल-बल-दलित, अनाथ, अकिंचन:
सजल नयन-जननी !!
बंसी-माँदर; कलरव-कूजन;
वन-पल्लव-संगीत; निरंजन ...
विश्व गगन जननी !!
पल पल नवल प्रकृति परिवर्तन...
अभिनंदित वंदित नवजीवन...
जन- लेखन-जननी!!
गति-मय. संहत विप्लव-दर्शन;
गति-लय-संगत, गुण -परिशीलन;
चिर-यौवन-जननी!!
रविवार, 7 जून 2009
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Adwiteey.....man mugdh kar liya is sundar rachna ne.Bahut bahut aabhar aapka.
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